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उपराष्ट्रपति (vice president)-इसके कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

posted on September 20, 2020

उपराष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान में अमेरिका से लिया गया है। जब हमारे संविधान में वरियता क्रम निर्धारित किया जाता है, तो पहले स्थान पर होते हैं राष्ट्रपति और दूसरे स्थान पर उपराष्ट्रपति होते हैं। तो इस प्रकार से केंद्र की कार्यपालिका में उपराष्ट्रपति दूसरे वरियता क्रम में आते हैं। इस दूसरे वरियता क्रम वाले व्यक्ति, राष्ट्रपति के संबंध में जानने का प्रयास करेंगे। इससे पहले हमने पहले वरियता क्रम वाले व्यक्ति, राष्ट्रपति के बारे में जान लिया था।

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इस आर्टिकल के अंत में कुछ ऑब्जेक्टिव प्रन्न दिए गए हैं जिनको आप कर सकते हैं

Table Of Contents

  • उपराष्ट्रपति के संबंध में प्रमुख अनुच्छेद
  • योग्यता कोन-सी होनी चाहिए?
  • निर्वाचन कैसे होता है?
  • शपथ कोन दिलाता है?
  • त्यागपत्र किसे देते है?
  • पद से हटाने की प्रक्रिया क्या है?
  • शक्तियां एवं कार्य क्या है?
  • राज्यसभा में इनकी क्या स्थिति होती है?
  • Related Q&A

उपराष्ट्रपति के संबंध में प्रमुख अनुच्छेद

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 के तहत इनके पद का वर्णन किया गया है।
  • ये राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करेंगे। इसका वर्णन अनुच्छेद 64 में किया गया है।
  • यदि राष्ट्रपति अपने पद पर नहीं हैं तो राष्ट्रपति के कर्तव्य का निवारण उपराष्ट्रपति करते हैं इस चीज का वर्णन अनुच्छेद 70 में किया गया।

इस चीज के संबंध में कई अनुच्छेद हैं लेकिन जितने ऊपर अनुच्छेद इसके संबंध में बताए गए हैं वे इंपॉर्टेंट हैं इसके अलावा भी कई अनुच्छेद हैं यदि आप देखना चाहते हैं या पढ़ना चाहते हैं तो आप पढ़ सकते हैं।

Important News: वर्तमान में हमारे भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू हैं।

योग्यता कोन-सी होनी चाहिए?

किसी व्यक्ति को उपराष्ट्रपति बनने के लिए, उसमें कौन-कौन सी योग्यता होनी चाहिए। जो उस पद को अच्छी तरह से संभाल सके। अपनी शक्तियों का गलत प्रयोग ना करें। ऐसे व्यक्ति में कौन-कौन सी योग्यता होनी चाहिए। हमारे संविधान में इसके बारे में बताया गया।

  1. भारत का नागरिक हो।
  2. 35+ आयु पूरा कर चुका हो।
  3. राज्यसभा में चुने जा सकने वाली योग्यता उसमें होनी चाहिए।
  4. किसी भी प्रकार के लालच के पद पर ना हो। अर्थात सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए।

लेकिन यदि हम अपने भारत देश की जनसंख्या देखे तो अधिकतर लोग इन सभी योगिता को full fil करते हैं अर्थात उनमें यह सभी योगिता हैं। पर क्या हमारी जनता को यह बनने का मौका मिलेगा अर्थात चुनाव में भाग लेने का। “नहीं“ यह सभी को मौका नहीं मिलता है इसमें कुछ कंडीशन को जोड़ा जाता है जिसको हर कोई full fil नहीं कर पाता है। चलिए तो देखते हैं वह कंडीशन क्या है….

इसमें 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक की सपोर्ट की जरूरत होती है। लेकिन जब हमने राष्ट्रपति के संबंध में पड़ा था कि जब कोई व्यक्ति राष्ट्रपति के उम्मीदवारी के लिए नामकरण दर्ज करवाने जाता है, तो उसके पास 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक के सपोर्ट की जरूरत होती है जो निर्वाचक मंडल का सदस्य होना चाहिए। उसी तरह से उपराष्ट्रपति के नॉमिनेशन के दौरान 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक के सपोर्ट की जरूरत होती है और यह भी निर्वाचित मंडल के सदस्य होने चाहिए।

निर्वाचन कैसे होता है?

जिस प्रकार से राष्ट्रपति का निर्वाचन होता है, उसी प्रकार से उपराष्ट्रपति का भी निर्वाचन होता है। अर्थात हमने राष्ट्रपति के निर्वाचन में देखा था कि अप्रत्यक्ष रूप में, गुप्त मतदान और समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा होता है। तो वह पद्धति यहां पर भी लागू होती है लेकिन इसमें विधायकों के मत का वर्णन नहीं है।

तो बस आपको इतना याद रखना है कि जिस प्रकार से राष्ट्रपति का चुनाव पद्धति है same उसी प्रकार से इनका भी चुनाव पद्धति है और दूसरी चीज आपको याद रखनी है कि इसमें निर्वाचक मंडल कौन होते हैं? अर्थात वे कौन से लोग होंगे जो उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान दे सकेंगे, तो पहला लोकसभा और दूसरा राज्यसभा और यदि हम इन दोनों को मिला देते है, तो बन जाता संसद। तो इस प्रकार से लोकसभा के सभी सदस्य और राज सभा के सभी सदस्य इनके चुनाव में मतदान देते हैं।

शपथ कोन दिलाता है?

अब इनके निर्वाचन के बाद उन्हें अपने कार्य करने से पहले शपथ लेनी होती है। ये राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेते हैं अर्थात इनको राष्ट्रपति शपथ दिलाते हैं।

त्यागपत्र किसे देते है?

आपको पता होगा उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ऐसे में यदि ये अपने कार्यकाल के पहले ही त्यागपत्र देकर पद से हटना चाहते हैं तो वे त्यागपत्र राष्ट्रपति को देंकर पद से हट सकते हैं और यदि राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के पहले त्यागपत्र देकर पद से हटना चाहते हैं तो वह त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को देंगे।

पद से हटाने की प्रक्रिया क्या है?

इनको पद से हटाने के दो माध्यम हो सकते हैं: पहला माध्यम यदि वे त्यागपत्र दे रहे हैं तो उस स्थिति में वे अपने पद से हट सकते हैं और दूसरा माध्यम यदि वे कुछ ऐसे कार्य करते हैं जो संविधान के खिलाफ होते हैं या संविधान का उल्लंघन करते हैं,

तो ऐसी स्थिति में उनके खिलाफ एक प्रस्ताव राज्यसभा में लाया जाता है और राज्यसभा में पास हो कर लोकसभा में भेज दिया जाता है और लोकसभा में पास करके उन्हें उनके पद से हटा दिया जाता है। लेकिन प्रस्ताव लाने से पहले उन्हें 14 दिन पूर्व उन्हें बता दिया जाता है कि आप के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया जिसमें आपको अपने पद से हटाया जा सकता है।

शक्तियां एवं कार्य क्या है?

अब हम पढ़ेंगे कि इनकी शक्तियां एवं कार्य क्या है? अर्थात इनका पद हमारे भारत में किस लिए बनाया गया है। तो राष्ट्रपति के दो कार्य होते हैं पहला राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करना और दूसरा कार्य राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति की भूमिका निभाना अर्थात किसी कारण से यदि राष्ट्रपति ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है या उनकी मृत्यु हो गई है या अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई है, तो ऐसी स्थिति में ये राष्ट्रपति के कर्त्तव्य का निवारण करते हैं।

ये राज्यसभा में सभापति के रूप में सामान्य कार्य करते हैं और ये यह कार्य तब तक आते हैं, जब तक उन्हें राष्ट्रपति का पद नहीं मिल जाता है और यदि उन्हें राष्ट्रपति का पद मिल जाता है, तो वे राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करना बंद कर देते हैं।

एक और चीज मैं आपको बता दूं कि इनको वेतन उपराष्ट्रपति का पद के लिए नहीं दिया जाता है, बल्कि राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करने के लिए दिया जाता है। इनका वेतन लगभग 4,00,000 रुपए हैं जब वे राज्य सभा के सभापति के रूप में कार्य करते हैं लेकिन जब वे राष्ट्रपति बन जाते हैं तो उनका वेतन 5,00,000 रुपए हो जाता है।

इसमें एक और चीज याद रखने वाली है कि लगभग 6 महीने बात राष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव होता है और जब कोई व्यक्ति राष्ट्रपति बन जाता है तो जो पहले उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति बने थे वे दोबारा से उपराष्ट्रपति बन जाते हैं और राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करने लग जाते हैं।

राज्यसभा में इनकी क्या स्थिति होती है?

हमने अभी ऊपर देखा है कि ये राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करते हैं लेकिन शायद आपको नहीं पता होगा कि ये राज्य सभा के सदस्य नहीं होते हैं भले ही वे राज्यसभा के सभापति हो, लेकिन वे राज्यसभा के सदस्य नहीं होते हैं। ऐसे में यदि राज्यसभा में कोई वोटिंग कराई जाती है, किसी भी मुद्दे पर, तो उसमें ये भाग नहीं ले सकते हैं अर्थात वे उसमें वोट नहीं डाल सकते हैं क्योंकि वे उस सदन के सदस्य नहीं होते हैं।

लेकिन यहां सवाल यह आता है कि क्या इनको कभी भी वोट देने को नहीं मिलता है? यदि राज्यसभा में किसी मुद्दे पर वोटिंग हुई है और उनकी वोटिंग दोनों पक्ष से बराबर है अर्थात 50% और दूसरी तरफ भी 50% तो ऐसी स्थिति में जो निर्णायक मत होता है वह देने का अधिकार सभापति अर्थात उपराष्ट्रपति को होता है।

Related Q&A

1. उपराष्ट्रपति का कार्यकाल क्या है?

 
 
 
 

2. राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसको देते हैं?

 
 
 
 

3. उपराष्ट्रपति के पद का वर्णन किस अनुच्छेद में किया गया है?

 
 
 
 

4. अनुच्छेद 70 में बताया गया है कि

 
 
 
 

5. अनुच्छेद 64 के तहत उपराष्ट्रपति को

 
 
 
 

6. उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए कितने अनुमोदक और कितने प्रस्तावक के सपोर्ट की जरूरत होती है?

 
 
 
 

7. उपराष्ट्रपति को शपथ कौन दिलाता है?

 
 
 
 

8. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है।

A. जब उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति का पद मिल जाता है, तो वे राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्य करते हैं?
B. उपराष्ट्रपति को वेतन राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करने के लिए दिया जाता है।

 
 
 
 

9. वह कौन सा सदन है, जिस सदन का अध्यक्ष या सभापति उस सदन का सदस्य नहीं होता है?

 
 
 
 

10. उपराष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसको देते हैं?

 
 
 
 

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