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बौद्ध धर्म/गौतम बुद्ध Full Story

posted on August 11, 2020

बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे। इसका इतिहास। इसके पतन के कारण। किन लोगों ने बौद्ध धर्म को अपनाया। किस कारण बौद्ध धर्म का उदय हुआ और बौद्ध धर्म की क्या शिक्षाएं थी आदि बातें बुद्ध के बारे में डिस्कस करेंगे…

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बौद्ध धर्म-

इसकी शुरुआत लगभग छठी शताब्दी में हुआ था। जिस के संस्थापक गौतम बुद्ध थें। इनका जन्म 463 BC में लुंबिनी के कपिलवस्तु राज्य में हुआ था| इनके पिता का नाम शुद्धोधन था। जो कपिलवस्तु राज्य के राजा थे। इनके माता का नाम महामाया था जो कोलिय वंश की थी। गौतम बुद्ध की मां गौतम बुद्ध को जन्म देने के 7 दिन बाद उनकी मृत्यु हो जाती है मृत्यु के बाद छोटे बच्चे के लालन-पालन के लिए उसके पिता दुसरी शादी प्रजापति गोमती से करते हैं जो गौतम बुद्ध की मौसी थी

गौतम बुद्ध के जन्म के बाद उसके पिता ने गौतम बुद्ध की जब कुंडली कौंडल ऋषि को दिखाई, तो उन्होंने कहा कि किसकी दो गतियां हैं या तो आने वाले समय में यह एक चक्रवर्ती राजा बनेगा या बहुत बड़ा सन्यासी बनेगा। यह जान कर के उसके पिता शुरू से ही परेशान रहने लगे कि “कहीं मेरा बेटा सन्यासी ना बन जाए”।

शुद्धोधन का एक ही पुत्र था और वे चाहते थे कि आने वाले समय में उनका बेटा राजा बने। But गौतम बुद्ध को अक्सर देखा जाता था कि वे वनों में बैठना पसंद करते थे अर्थात सन्यासी की तरह बैठना उन्हें अच्छा लगता था। यह सब देखकर गौतम बुद्ध के पिता चिंतित रहते थे।

परिणामस्वरूप गौतम बुद्ध के पिता गौतम बुद्ध की शादी मात्र 16 वर्ष की आयु में कर देते हैं। यह सोच कर कि परिवारिक जीवन में उलझ कर उनका ध्यान सन्यासी की तरफ नहीं जाएगा। But ऐसा नहीं होता है कुछ समय के बाद गौतम बुद्ध को एक पुत्र होता है जिसका नाम राहुल था और इसके बाद 29 वर्ष की आयु में वे सन्यासी बनने के लिए घर से भाग जाते हैं जिसे बौद्ध धर्म में महाभिनिष्क्रमण घटना के नाम से जाना जाता है।

सन्यासी बनने के क्रम में वे कई गुरु से मिलते हैं जहां वे ज्ञान को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं But उन्हें ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती हैं। वहां से वे बोध-गया में एक पीपल के वृक्ष के नीचे 6 साल तपस्या करने के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है।ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद उन्हें बुद्धत्व कहां गया। ज्ञान प्राप्त करने के बाद उनके कई शिष्य बने अपने शिष्यों के साथ मिलकर उन्होंने कई उपदेश और शिक्षा दिया।

चार दृश्य-

गौतम बुद्ध का सन्यासी बनने की प्रेरणा चार दृश्यों को देखकर आती है। एक दिन गौतम बुद्ध बैठे हुए थे तो उन्हें 4 दृश्य दिखते हैं उन चार दृश्य को देखकर गौतम बुद्ध फैसला कर लेते हैं कि उन्हें सन्यासी बनना है और वे गृहत्याग करके 29 वर्ष की आयु मैं घर से घोड़े पर बैठकर चले जाते हैं वे 4 दृश्य कौन थे?

  1. बूढ़ा व्यक्ति – जो बहुत तकलीफ में था।
  2. बीमार व्यक्ति – जो जिंदगी जीने के लिए तरस रहा था।
  3. मृत व्यक्ति – जिसे गौतम बुध देखकर के बहुत दुखी होते हैं।
  4. एक सन्यासी – जो बहुत प्रसन्न होते हुए जा रहा था।

बुद्ध के गुरु-

  • प्रथम गुरु – अलार कलाम जो वैशाली राज्य के थे।
  • द्वितीय गुरु – रूद्रक रामपुत जो राजगृह राज्य के थे।

बुद्ध पुर्णिमा-

बुद्ध पुर्णिमा गौतम बुद्ध के जीवन में बहुत बड़ा योगदान देता है Because गौतम बुद्ध का जन्म, मृत्यु और ज्ञान प्राप्ति का दिन वेश्क पूर्णिमा का था। इसलिए गौतम बुध को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है।

बुद्धत्व-

गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति होने बाद उन्हें बुद्धत्व कहां गया जिसका अर्थ बुद्ध होता है।

तथागत-

गौतम बुद्ध को तथागत भी कहा जाता है। इसका अर्थ सत्य है ज्ञान जिसका। इसके साथ ही उन्हें शाष्भमुनि भी कहते हैं।

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प्रिय शिष्य-

गौतम बुध का प्रिय शिष्य आनंद था।

प्रथम उपदेश-

गौतम बुद्ध और उसके शिष्य ने प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया था।

सर्वाधिक उपदेश-

सबसे ज्यादा उपदेश क्षावस्ती में दिया गया था।

अंतिम उपदेश-

अंतिम उपदेश सुभद जो गौतम बुध का एक शिष्य था उसको दिया गया था।और इसके बाद गौतम बुद्ध की मृत्यु 363 BC हो जाती है।

स्त्रियां-

महिलाओं को पहले बौद्ध धर्म में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। Because बुद्ध का मानना था कि महिलाओं के आ जाने के बाद बौद्ध धर्म ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता है। But बुद्ध का प्रिय शिष्य आनंद के आग्रह पर महिलाओं को बौद्ध धर्म में प्रवेश की अनुमति मिल जाती है और बौद्ध धर्म में प्रवेश करने वाली पहली महिला प्रजापति गौतमी थी जो बुद्ध की सौतेली मां थी।

चार आर्य सत्य-

गौतम बुद्ध के अनुसार मनुष्य जीवन में चार आर्य सत्य हैं जो मनुष्य के जीवित रहने तक रहती हैं और उन्होंने यह भी कहा है कि मनुष्य के दुख होने का सबसे बड़ा कारण “तृच्णा” है अर्थात मनुष्य की अनगिनत इच्छाएं और लालच। वे चार आर्य सत्य-

  1. दुख
  2. दुख समुदाय
  3. दुख निरोध
  4. दुख निरोध मार्ग

अष्टांगिक मार्ग-

गौतम बुद्ध के अनुसार अष्टांगिक मार्ग के द्वारा मनुष्य अपने दुखो का निवारण कर सकता हे-

  1. दृष्टि
  2. सकल्य
  3. पाकृ
  4. कर्म
  5. आजीव
  6. व्यायाम
  7. स्मृति
  8. समाधि

बौद्ध धर्म के त्रिरत्न-

  1. बुद्ध
  2. धम्म
  3. संघ

बौद्ध धर्म की सभा/संगीति-

क्रम वर्ष स्थान राजा अध्यक्ष
1. 483 BC राजगृह आजातशत्रु  महाकश्यप
2. 383 BC वैशाली कालाशोक शबाकामी
3. 247 BC पाटलिपुत्र अशोक मोगलीपुततिस्स
4.  102 इ.वी. कुंडलवन कनिष्ट  वशुमित्र

अंतर-

हीनायान महायान
परिवर्तन के अपनाने के विरोधी परिवर्तन को अपनाने में सक्षम थे
यह बुद्ध को महापुरुष मानते थे पर देवता नहीं बुद्ध को देवता मानते थे
मूर्ति पूजा के विरुद्ध थे मूर्ति पूजा भी करते थे
वर्तमान में संचालित- श्रीलंका, दक्षिण भारत, वर्मा, थाईलैंड आदि। वर्तमान में संचालित- उत्तर भारत, चीन, जापान, तिब्बत आदि
नही प्रमुख आदर्श- बोधिसत्व

बोधिसत्व क्या है-

ऐसे मनुष्य जो स्वयं तो निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं पर अन्य अन्य लोगों की सहायता करते हैं

वज्रासन का मतलब क्या है-

जब बौद्ध धर्म हीनायान और महायान में बटा हुआ था और आगे बड रहा था। खासतौर पर जब गुप्ता काल आता है तो उसमें नलंडा विश्वविद्यालय का निर्माण होता है और वहां पर बुद्ध की शिक्षाएं दी जाती हैं जिससे बौद्ध धर्म का विस्तार होता है। उसी समय बौद्ध धर्म की एक नई शाखा का जन्म होता है इसका नाम वज्रासन होता है। यह गुप्त काल में शुरु हुआ था, लगभग छठी शताब्दी मैं शुरू पर इसका सबसे ज्यादा विस्तार 8 वी शताब्दी में होता है यह तंत्र-मंत्र, जादू-टोना और आडंबर आदि से जुड़ा हुआ था जो मुख्य रुप से वज्रासन शाखा में था इसके कारण ही बौद्ध धर्म का पतन शुरू हो जाता है

Because जिस तंत्र-मंत्र और जादू से भागकर लोग बौद्ध धर्म में आए थे अब बौद्ध धर्म में भी वही चीज आने लगी थी नतीजा यह निकला कि लोगों ने यह महसूस करना शुरु कर दिया कि इससे अच्छा तो हमारा पुराना ही धर्म था और लोग अपने पुराने धर्म की ओर जाना शुरु कर देते हैं।

बौद्ध साहित्य-

  • त्रिपिटक जो पाली भाषा में लिखी गई थी यह तीन प्रकार की थी-
  • सुत्त पिटक – इसमें बुद्ध के उपदेश का संग्रह है।
  • विनय पिटक – इसमें संघ के नियमो का संग्रह है।
  • अभिधम्म पिटक – इसमें बुद्ध के दार्शनिक विचार हैं।
  • जातक कथा इसमें बुद्ध के पुनर्जन्म की कथा है।
  • अश्बधोष की रचना-
  • बुद्ध चरित
  • सोन्दरानन्द
  • शारिपुत्र प्रकरण
  • मिलिनदपन्हो- इसमें नागसेन की संरचना है इसकी एक कहानी है। मिलिंद नामक एक राजा ने नागसेन से कुछ प्रश्न पूछे थे और नागसेन ने उनके उत्तर दिए थे वे प्रश्न क्या थे? वे प्रश्न मूल रुप से बौद्ध धर्म एवं जीवन से जुड़े हुए प्रश्न थे। जिसके उत्तर नागसेन ने दिए थे और इन्हीं प्रश्नों को जिस किताब में लिखा गया है उस किताब का नाम मिलिनदपन्हो दिया गया है।
  • Light Of Asia – गौतम बुद्ध को Light Of Asia एडविन अर्जाल्ड ने कहा है।
  • चैत्य – पूजा घरों को बौद्ध धर्म में चैत्य कहते थे।
  • स्तूप – यह एक प्रकार का धार्मिक केंद्री ही हे पर यहां पर मृत अवशेष रखे जाते थे।
  • स्तूप
  • विहार/मठ – यह वह जगह होती थी जहां पर बौद्ध भिक्षुक निवास करते थे।
  • गांधार कला – यह एक प्रकार की मूर्ति बनाने की कला होती है जो बौद्ध धर्म के हीनयान और महायान ग्रुप के विभाजन के बाद शुरु हुआ था।

बुद्ध की शिक्षाएं-

  • गौतम बुद्ध एक क्षत्रिय थे।
  • बुद्ध ने कहा ये जीवन दुखों और कठिनाइयों से भरा हुआ है इसका कारण मनुष्य की अनगिनत इच्छाएं हे बुद्ध ने लिप्सा को “तन्हा” कहा है।
  • बुद्ध ने आत्मसंयम से अपनी इच्छाओं पर विजय पाने की शिक्षा दी।
  • उन्होंने लोगों को दयालु होने तथा मनुष्य के साथ-साथ जानवरों के जीवन को भी आदर करने की शिक्षा दी।
  • मनुष्य के कर्म वर्तमान जीवन के साथ-साथ अगले जीवन को भी प्रभावित करता है।
  • बौद्ध ने अपने उपदेश प्रकृत भाषा में दिए थे।
  • बौद्ध धर्म में सन्यासी को भिक्षुक और भिक्षुणी कहां गया जिन्हें गृहत्याग करके संघ में रहता पड़ता था।
  • संघ में रहने के लिए कुछ नियम थे इसके बारे में विस्तृत जानकारी विनयपिटक मे दी गई है।
  • संग में स्त्रियां और पुरुषों के अलग अलग रहने की व्यवस्था थी।
  • संघ में कोई भी परवेश ले सकता था।

you can also read this article on wikipedia

बौद्ध धर्म/गौतम बुद्ध Full Story
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Filed Under: History August 11, 2020 by Your Friend 5 Comments

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Comments

  1. Vijay

    August 11, 2020 at 11:50 am

    Nice

    Reply

Trackbacks

  1. जैन धर्म/महावीर स्वामी Full Story in Hindi - YourFriend says:
    August 17, 2020 at 8:24 am

    […] स्वामी और गौतम बुद्ध दोनों का ही मानना था कि घर का त्याग […]

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  2. मगध साम्राज्य का उत्कर्ष - हर्यक वंश, शिशुनाग वंश, नंद वंश,और मौर्य वंश - Yourfriend says:
    August 17, 2020 at 8:31 am

    […] read also: बौद्ध धर्म/गौतम बुद्ध Full Story […]

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  3. मौर्य वंश के संस्थापक कौन थे - चंद्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार, अशोक और वृहद्रय - YourFriend says:
    September 3, 2020 at 12:06 pm

    […] धर्म प्रचार के मार्ग पर निकल पड़ा और बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए उसने कई प्रकार […]

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  4. मगध साम्राज्य का प्रशासन - सैन्य विभाग, न्याय व्यवस्था और गुप्तचर 2020 » YourFriend says:
    November 10, 2020 at 12:57 pm

    […] के बाद हृदय परिवर्तन किया तो उसने बौद्ध धर्म को अपना लिया था‌। बौद्ध धर्म को […]

    Reply

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