इस आर्टिकल में हम सर्वोच्च न्यायालय (न्यायपालिका) के बारे में जानेंगे। आपको पता होगा हमारे भारत में सबसे ऊंचे स्तर का न्यायालय सुप्रीम कोर्ट (SC) है उस के निचले स्तर पर हाईकोर्ट (HC) है और फिर सबसे नीचे स्तर पर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (DC) होते हैं।
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Table Of Contents
न्यायपालिका
- हमारे भारत में न्याय संबंधी कार्य करने की शक्ति न्यायपालिका को प्राप्त है।
- यानी किसी अपराधी को सजा देना न्यायपालिका का कार्य है।read also: अयोध्या राम मंदिर -Full Story, विवाद, इतिहास
- भारत में न्यायपालिका को राज्य और केंद्र स्तर पर नहीं बाटा गया है बल्कि इसे एकीकृत रूप में अपनाया गया है।
- अर्थात ऊपर से नीचे तक एक श्रृंखला बनाई गई है जिसमें सबसे ऊपर सुप्रीम कोर्ट है उसके नीचे हाईकोर्ट है और फिर सबसे नीचे डिस्ट्रिक्ट कोर्ट है।
- भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र रखा गया है।
सर्वोच्च न्यायालय
- भारतीय सविधान में सर्वोच्च न्यायालय का वर्णन भाग 5 में मिलता है।
- इसके साथ ही अनुच्छेद 124 से लेकर अनुच्छेद 147 तक भी सर्वोच्च न्यायालय का वर्णन मिलता है।
- भारत शासन अधिनियम-1935 के तहत संघीय न्यायपालिका की व्यवस्था की गई थी।
- इसी संघीय न्यायपालिका के प्रतिरूप स्वतंत्रता के उपरांत ही सर्वोच्च न्यायालय का गठन किया गया है।
- सर्वोच्च न्यायालय में कुछ शक्तियां अमेरिका से भी दिया गया है लेकिन जो मूल चीजें हैं वह 1935 अधिनियम से स्वीकार किया गया है।
गठन
- संविधान में कहा गया है कि “भारत का एक सर्वोच्च न्यायालय होगा“।
- सर्वोच्च न्यायालय के गठन का वर्णन अनुच्छेद 124 (1) में है।
- सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और सात अन्य न्यायाधीश होंगे अर्थात इसमें कुल आठ न्यायाधीश होंगे।
- यह संविधान के मूल बातों में है अर्थात जब संविधान बना था तब उस समय यह प्रस्ताव रखा गया था कि एक मुख्य न्यायाधीश होगा जिसे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कहा जाएगा और 7 अन्य सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश होंगे।
- But क्रमशः न्यायाधीशों की संख्या बढ़ती गई।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की शक्ति संसद के पास है अर्थात संसद सर्वोच्च न्यायालय के जजों की संख्या बढ़ा सकता है।
- वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की कुल संख्या 31 है जिसमें से एक मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीश हैं।
- न्यायाधीशों की संख्या 2008 में आए एक अधिनियम या प्रस्ताव के कारण बढ़ी थी। But उस प्रस्ताव को 2009 में पास किया गया था।
नियुक्ति
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति का वर्णन अनुच्छेद 124 (2) में है।
- वर्तमान में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम को अपनाया जाता है।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की सलाह पर की जाती है।
- भारत उन देशों में शामिल है जिसमें न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए न्यायाधीशों की ही सलाह दी जाती है बाद में इसे इस अवस्था को Develope करके एक नई व्यवस्था को अपनाया गया उसका नाम कॉलेजियम सिस्टम है।
- अंत में न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति कॉलेजियम सिस्टम के द्वारा करते हैं।
कॉलेजियम सिस्टम क्या है?
सुप्रीम कोर्ट में एक न्यायाधीश और चार अन्य न्यायाधीश को मिलाकर 5 सदस्यों वाली एक कोलोजियम होती है अर्थात न्यायाधीशों की एक मंडली होती है उस न्यायाधीश मंडली के द्वारा विभिन्न न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव राष्ट्रपति को दिया जाता है और उसी प्रस्ताव में से वे न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं इस पूरी प्रक्रिया या सिस्टम को कॉलेजियम सिस्टम कहते हैं।
योग्यता
सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए कौन-कौन सी योग्यता होनी चाहिए?
- सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनने की योग्यता का वर्णन अनुच्छेद 124 (3) में है।
- न्यायाधीश बनने के लिए 2 योग्यता होनी चाहिए-
- भारत का नागरिक हो।
- कम से कम एक या एक से अधिक हाईकोर्ट में 5 वर्ष तक न्यायाधीश के रूप में कार्य किया होना चाहिए।
- इसके अलावा यदि हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्य नहीं किया है, तो कम से कम एक या एक से अधिक हाईकोर्ट में वकील के रूप में 10 वर्ष तक कार्य किया होना चाहिए।
- अब यदि आप इन दोनों में से कोई नहीं है अर्थात ना ही आप न्यायाधीश हैं ना ही वकील हैं तो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए राष्ट्रपति के दृष्टि में विधिवेता हो अर्थात कानून की विशेष जानकारी होनी चाहिए।
शपथ
- न्यायाधीशों की शपथ का वर्णन अनुच्छेद 124(6) में किया गया है।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति होने के बाद उन्हें शपथ लेनी होती है।
- शपथ का अर्थ होता है संविधान के प्रति श्रद्धा एवं निष्ठा के साथ कार्य करने की शपथ।
- न्यायाधीशों को शपथ राष्ट्रपति दिलाते हैं अर्थात न्यायाधीशों को राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेनी होती है।
कार्यकाल
- सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का कार्यकाल उनके 65 वर्ष की आयु तक होती है।
- 65 वर्ष आयु होने के बाद उन्हें रिटायर होना पड़ता है।
- इसके अलावा न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु के पहले भी त्यागपत्र देकर पद से हट सकते हैं।
- त्यागपत्र राष्ट्रपति को दिया जाता है।
राष्ट्रपति को से हटाने की प्रक्रिया
इसमें यदि कोई सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश कुछ ऐसे कार्य करते हैं जो संविधान के विपरीत या उसका उल्लंघन करता है तो न्यायाधीश को पद से हटाया जाएगा। पद से हटाने की पूरी जानकारी अनुच्छेद 124 (4) और अनुच्छेद 124(5) में दिया गया है।
हटाने कर्म में यदि यह साबित हो जाता है कि उसने कदाचार है यानी उसने कोई घोष ली या भ्रष्टाचार किया है या असमर्थता है यानी वह अपने पद पर अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा है, तो उसे न्यायाधीश के पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
हटाने की प्रक्रिया संसद के द्वारा होती है। आप को पता होगा कि संसद के 2 अंग होते हैं:-लोकसभा तथा राज्यसभा। लोकसभा या राज्यसभा किसी में भी यह प्रस्ताव लाया जा सकता है कि इन पर कदाचार या असमर्थता का आरोप है। इन को पद से हटाया जाए।
यदि लोकसभा में प्रस्ताव लाया जाता है तो 100 सदस्यों का समर्थन होना जरूरी होता है। लेकिन जब राज्यसभा में प्रस्ताव लाया जाता है तो कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना जरूरी होता है।
इस प्रकार से दोनों में से किसी एक में प्रस्ताव पेश किया जा सकता है प्रस्ताव पेश करने के बाद जो सभापति महोदय होते हैं वह उस प्रस्ताव को एक्सेप्ट करते हैं फिर उस पर एक ग्रुप या कमेटी बनाई जाती है इस कमेटी को काम दिया जाता है कि “इन पर जो आरोप लगे हैं उसके बारे में जानकारी इकट्ठा करके रिपोर्ट सबमिट करें”।
यदि यह कमेटी अपनी रिपोर्ट में यह कहता हैं कि यह आरोप सही है तो फिर सांसद में इसे 2/3 बहुमत से पारित कर दिया जाता है। अंत में इसे पारित करके राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है और यदि राष्ट्रपति भी इस पर सिग्नेचर कर देते हैं तो जिस किसी पर भी आरोप लगा है, उसे पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
वेतन
- मुख्य न्यायाधीश का वेतन ₹280000 होता है।
- अन्य न्यायाधीश का वेतन ₹250000 होता है।
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सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियां
1. मूल अधिकारिता
- इसे प्राथमिक अधिकारिता के रूप में भी जाना जाता है।
- इसका वर्णन अनुच्छेद 131 में किया गया है।
- इसमें तीन प्रकार की बातें आती हैं-
- यदि किसी राज्य या भारत के बीच विवाद होता है तो उस कंडीशन में यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में जाएगा।
- यदि एक से अधिक राज्य और भारत के बीच विवाद होता है तो भी मामला सर्वोच्च न्यायालय में जाएगा।
- यदि कुछ राज्य का समूह और भारत के साथ कुछ राज्य हो होली के बाद अगर होता है तो भी मामला सर्वोच्च न्यायालय में जाएगा।
2. रिट आधिकारिता
- यह शक्ति सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ हाई कोर्ट को भी प्राप्त है।
- इसका वर्णन अनुच्छेद 32 में है।
- सुप्रीम कोर्ट को पांच प्रकार के रिट जारी करने की शक्ति प्राप्त है।
- जिसके माध्यम से वे भारतीय जनता के मूल अधिकारों की रक्षा करते हैं।
3. अभिलेख न्यायालय
- इसका वर्णन अनुच्छेद 129 में है।
- जब सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कोई निर्णय लिया जाता है तो उस निर्णय को स्वयं तथा सुप्रीम कोर्ट के नीचे वाले अधिशेष न्यायालय के लिए कानून के समान होता है और यह एक प्रकार का अभिलेख होता है।
- उस अभिलेख में लेने से संबंधित बातें लिखी होती हैं और उस अभिलेख को सुरक्षित रख लिया जाता है।
- आगे आने वाले उसी प्रकार के मुकदमे में हाई कोर्ट एवं डिस्ट्रिक्ट कोट, उसी विधि को अपनाते हैं जिस विधि को सुप्रीम कोर्ट ने अपनाया था। इस चीज को अभिलेख न्यायालय कहते हैं।
4. अपीलीय न्यायालय
- आपको पता होगा कि हमारे भारत में न्यायालय को स्वतंत्र और एकीकृत रूप में अपनाया गया है।
- जिसमें सबसे ऊपर सुप्रीम कोर्ट है उसके निचले स्तर पर हाईकोर्ट है और फिर उसके निचले स्तर पर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट है।
- अब यदि किसी को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सजा सुनाई जाती है, तो वह हाईकोर्ट में अपील कर सकता है।
- लेकिन जब हाईकोर्ट में भी सजा सुनाई जाती है, तब वह सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है।
- अब यदि सुप्रीम कोर्ट में भी सजा सुनाई जाती है, तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश का पालन करना जरूरी होता है।
- यदि आदेश का पालन नहीं होता है तो प्रॉब्लम और बढ़ सकती हैं।
- इसके अलावा किसी और कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती हैं।
5. न्यायिक पुनाव्रिलोकन
- इसका वर्णन अनुच्छेद 32, 137, 13 आदि में किया गया है।
- न्यायिक पुनाव्रिलोकन क्या है? यदि सुप्रीम कोर्ट कोई निर्णय देता है, तो वह खुद के निर्णय की समीक्षा बाद में कर सकता है अर्थात वह अपने फैसले को बाद में बदल भी सकता है।
- इसके अलावा यदि कार्यपालिका या विधायिका कुछ ऐसे निर्णय देते हैं, जो संविधान के विपरीत है अर्थात जो भारतीय संविधान के मन्याताओ को खंडित करते हैं, तो सर्वोच्च न्यायालय उसकी जांच और उस प्रस्ताव को भी रड कर सकता है।
अन्य बिंदु
1. तढर्य न्यायाधीश (Ad-hoc) कौन होते हैं?
जब सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या कम होती है तो ऐसे में हाईकोर्ट के जजों को बुलाया जाता है इसे तढर्य न्यायाधीश (AD-HOC) कहते हैं।
2. सेवानिवृत्त न्यायाधीश कौन होते हैं?
रिटायर हो चुके नया देश को सेवानिवृत्त न्यायाधीश कहते हैं। जब कभी सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या कम होती है या उन पर काम बहुत ज्यादा होता है तो ऐसी स्थिति में भी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट में कुछ समय के लिए बुलाया जा सकता है। इसका वर्णन अनुच्छेद 128 में है।
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