Nilami ka Sidhant: जैसा कि हम सभी को पता है कि नीलामी का सिद्धांत आजकल बहुत चर्चा में है और आपको पता होगा कि हाल ही में अर्थात 2020 में दो अमेरिकी व्यक्ति को Nilami ka Sidhant के संबंध में नोबेल पुरस्कार दिया गया है लेकिन अभी भी आपके दिमाग में यह सवाल जरूर होगा कि Nilami ka Sidhant kya hai.
चलिए इसके बारे में हम जानने का प्रयास करते हैं। उससे पहले आपको यह पता होना जरूरी है कि यह आजकल चर्चा में क्यों है। चलिए पहले इसके बारे में जान लेते हैं।
Nilami ka Sidhant चर्चा में क्यों है
यह चर्चा में इसलिए है क्योंकि 2020 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार का ऐलान हुआ है और यहां पर मैं आपको एक बात बताना चाहूंगा कि 2020 में कुल 12 लोगों को नोबेल पुरस्कार दिया गया है। यदि आप जानना चाहते हैं कि 2020 में किन-किन लोगों को नोबेल पुरस्कार दिया गया है तो आप यहां click here करके देख सकते हैं।
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Paul R. Milgrom/पॉल मिल्ग्रोम और Robert B. Wilson/रोबर्ट ब. विल्सन को नीलामी के सिद्धांत में सुधार और नए नीलामी प्रारूपों (New Auation Formats) के अविष्कार के लिए पुरस्कार दिया गया है।
आधिकारिक रूप से इस पुरस्कार को “स्वीरिजेज रिक्सबैक प्राइज इन इकोनॉमिक साइंसेज इन मेमोरी आॅफ अल्फ्रेड नोबेल” के तौर पर जाना जाता है। दोनों पुरस्कार विजेता स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी मैं पढ़ते थे।
उम्मीद है कि आप को पता चल गया कि Nilami ka Sidhant चर्चा में क्यों है अब हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि Nilami Sidhant kya hai.
Nilami Sidhant kya hai
इस Sidhant में nilami के डिजाइन, नीलामी से संबंधित नियम, बोली लगाने वाले का व्यवहार एवं नीलामी के नतीजों के बारे में अध्ययन किया जाता है। Actually nilami से ही किसी वस्तु का मूल्य की खोज (discovery) होती है।
नीलामी का नतीजा (result) तीन कारकों पर निर्भर करता है-
- नीलामी का नियम
- नीलामी होने वाली वस्तु एवं सेवाएं
- अनिश्चितता
नीलामी का नियम
- यह बोली लगाने वाले व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करता है। जैसे- यदि दो नीलामी में एक खुली नीलामी और दूसरी बंद सील नीलामी में नीलामी का नियम हो, तो दोनों नीलामी के लिए बोली लगाने वाले व्यक्तियों का व्यवहार अलग अलग होगा।
नीलामी होने वाली वस्तु एवं सेवाएं
- वस्तु एवं सेवाओं पर भी निर्भर करता है कि उसकी बोली कितनी लगेगी। नीलामी मैं कुछ वस्तुओं पर बोली लगाना या उसका मूल्य लगाना आसान होता है, पर अक्सर ऐसा तब होता है जब समान उपयोग के लिए किसी वस्तु का उपयोग किया जाता है जैसे-
- स्पेक्ट्रम की नीलामी में स्पेक्ट्रम की वैल्यू का अनुमान लगाना आसान होता क्योंकि सारे कंपनियों का मकसद लगभग एक जैसा ही होता है इस वैल्यू को कॉमन वैल्यू (common value) कहा जाता है।
- लेकिन किसी किसी वस्तु की नीलामी में उसके मूल्य का अनुमान लगाना आसान नहीं होता है जैसे- पेंटिंग की नीलामी
- यह हो सकता है कि व्यक्ति ए के लिए पेंटिंग की वैल्यू व्यक्ति 20 से ज्यादा हो प्राइवेट पर्सनल वैल्यू कहा जाता है।
- इस स्थिति में पेंटिंग के मूल्य का अनुमान लगाना काफी कठिन होता है क्योंकि व्यक्ति पेंटिंग को खरीदने के लिए ज्यादा मूल्य भी चुका सकता है।
- अक्सर नीलामी में बोली लगाने वाले व्यक्ति अपने कॉमन और प्राइवेट वैल्यू दोनों को ध्यान में रखते हैं।
अनिश्चितता
- बोली लगाने वाले व्यक्ति के पास वस्तु से संबंधित सभी सूचनाओं के बारे में अनिश्चितता होनी चाहिए।
अब मैंने आपको ऊपर Nilami ka Sidhant चर्चा में क्यों है और Nilami Sidhant kya hai दोनों के बारे में बता दिया है, पर अभी आपके दिमाग में यह सवाल जरूर होगा कि विल्सन और बिल्ग्रोम को किस लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है
हमें यह तो पता है कि इन दोनों ने नीलामी के सिद्धांत को विकसित किया है पर उन्होंने क्या-क्या योगदान दिया है, यह हमें नहीं पता है।
चलिए हम देख लेते हैं कि उन्होंने नीलामी के सिद्धांत में क्या-क्या योगदान दिया है।
नीलामी के सिद्धांत में विल्सन और बिल्ग्रोम का योगदान
विल्सन का नीलामी के सिद्धांत में योगदान
- विल्सन ने कॉमन वैल्यू के साथ वस्तुओं की नीलामी के सिद्धांत को विकसित किया है।
- विल्सन ने विजेता का अभिशाप (winner’s curse) की व्याख्या करते हुए यह बताया है कि यह कैसे बोली (bidding) को प्रभावित करता है।
- winner’s curse नीलामी जीतने की एक प्रवृत्ति है जिसमें बोली लगाने वाला व्यक्ति वस्तु के वास्तविक मूल्य से अधिक मूल्य पर बोली लगाकर वस्तु को खरीद लेता है।
- इस स्थिति में ज्यादा बोली लगाने वाला व्यक्ति नीलामी को जीत लेता है लेकिन हकीकत में उसे हानि होती है।
- विल्सन ने कहां है कि winner’s curse के भय की वजह से बोली लगाने वाले समझदार लोग अपनी अनुमानित वैल्यू से भी कम पर बोली लगाते हैं।
बिल्ग्रोम का नीलामी के सिद्धांत में योगदान
बिल्ग्रोम ने नीलामी की एक ऐसी जनरल थ्योरी का विकास किया है जो ना केवल कॉमन वैल्यू बल्कि प्राइवेट वैल्यू को भी स्वीकार करता है।
बिल्ग्रोम ने बहुत सारे ऑक्शन फॉर्मेट में बोली की रणनीति का विश्लेषण करने के बाद बताया है कि यदि बोली लगाने के दौरान बोली लगाने वाले एक दूसरे की अनुमानित वैल्यू के बारे में पता लगा लेते हैं तो इस नीलामी में विक्रेता को ज्यादा अनुमानित रेवेन्यू मिल जाता है।
चलिए अब हम इस विषय के संबंध में कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में भी जान लेते हैं और यह अन्य महत्वपूर्ण बातें आपको कई जगह काम आएंगे जैसे- यूपीएससी, रेलवे आदि..
अन्य महत्वपूर्ण बातें
- 2019 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार अभिजीत बनर्जी, डूफ्लो (Esther Duflo) और माइकल क्रेमर (Michael Kremer) को गरीबी उन्मूलन पर किए गए एक्सपेरिमेंटल कार्य के लिए पुरस्कार दिया गया था।
- अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार की स्थापना 1968 में किया गया था।
- अर्थशास्त्र का पहला नोबेल पुरस्कार Ragnar Frisch और Jan Tinbergen को 1969 में दिया गया था।
आपके लिए हमने नीचे कुछ प्रसन्न दिए हैं जिससे आपको इस टॉपिक से संबंधित सारी चीजें याद हो जाएंगी और आपको अच्छी तरह से समझ भी आ जाएगा, तो आप नीचे के प्रशन को भी जरूर करना।
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